चार खण्डों में फ़ैली महाभारत गौरवगाथा के पहला भाग है। यह कहानी है भारत वर्ष में पाँच हजार वर्षों और अधिक से पूर्व की, एक महायुद्ध के प्रारम्भ की, दो वंशों के बीच बनते-बिगड़ते संबंधों की, अधिकार और राज्य सत्ता के लिये हुए संघर्षों की, संघर्षों के बीच पनपते प्रेम, सम्मान तथा दया और ममता की, त्याग और बलिदानों के साथ उपजती लालसाओं और असन्तोष की, और अंत में एक नारी के अपमान पर उबलते हुए ख़ून और पीड़ा की, समस्त संभावनाओं के साथ धर्म और विश्वाश की रक्षा की, ज्ञान और विज्ञान के साथ निर्माण और विनाश की भी, अनादि काल से मानवीय संबंधों के बीच संघर्ष होते रहे हैं, आज भी हैं और शायद आगे भी रहेंगे ही। किन्तु विगत संघर्षों के होने के कारणों से आज का मनुष्य कुछ न कुछ सीखता आया है।