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Ghar Shishe Ka, Dil Pathar Ka... (घर शीशे का दिल पत्थर (in Hindi)
Pankaj, Girish
Synopsis "Ghar Shishe Ka, Dil Pathar Ka... (घर शीशे का दिल पत्थर (in Hindi)"
समकालीन वरिष्ठ ग़ज़लकारों में गिरीश पंकज भी एक जाना-पहचाना और बेहद जरूरी नाम है। गिरीश रायपुर में रहते हैं। लम्बे समय तक सक्रिय पत्रकार रहे हैं और आज भी सम-सामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं। वह केवल ग़ज़लकार नहीं हैं, व्यंग्यकार, कथाकार भी हैं। एक्टिविस्ट की तरह भी समाज में सक्रिय रहते हैं। आम तौर पर ग़ज़लकारों में विधागत विविधता नहीं मिलती है। बहुत कम ऐसे शायर हैं जिन्होंने किसी दूसरी विधा में अपनी पहचान स्थापित की है। गिरीश पंकज में यह विविधता पाई जाती है। गिरीश में धूमिल की तरह आक्रामकता है, तो त्रिलोचन जैसी भावपरकता भी है। इन ग़ज़लों से गुजरना अपने समय के खतरों से गुजरना है एवं इन ग़ज़लों की कैफियात और कहन देखकर कहा जा सकता है यदि यथार्थ ग़ज़ल का काम्य है तो गिरीश की ग़ज़लें हिन्दी सर्वाधिक यथार्थवादी ग़ज़लें हैं। इस यथार्थ का काम्य महज शल्य-क्रिया नहीं है अपितु सपनों के लिए बगावती तेवरों का आगाज भी है। गिरीश पंकज की ग़ज़लों से आज के हिन्दुस्तान का बिम्ब निर्मित होता है। एक ऐसा हिन्दुस्तान जहाँ राजनीति ही मनुष्य की परिभाषा तय कर रही है। और राजनीति ही मुद्दे तय कर रही है। राजनीति ने जम्हूरियत को कुछ वर्गों की मुट्ठी में कैद कर दिया है।