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Vayam Rakshamah Parishisht evam chitra sahit (in Hindi)
Chatursen, Acharya
Synopsis "Vayam Rakshamah Parishisht evam chitra sahit (in Hindi)"
अब लक्ष्मण ने सात बाण धनुष पर चढ़ाकर रावण की ध्वजा काट डाली। इसी समय रावण की दृष्टि विभीषण पर पड़ी। उसने तत्काल बिजली की भांति दीप्तिमती महाशक्ति उसपर फेंकी। परन्तु लक्ष्मण ने उसे बीच में ही तीन बाणों से काट डाला। इस प्रकार लक्ष्मण के हाथों विभीषण की रक्षा होते देख रावण क्रोध से सर्प की भांति फुफकारने लगा। उसने कहा- 'अरे सौमित्रि, तेरे हस्तलाघव की प्रशंसा करता हूं। तुझमें शक्तिधर कार्तिकेय से भी अधिक सामर्थ्य है। पर आज तू जीवित नहीं बच सकता। ले रे पुत्रघाती, मर!' - इसी पुस्तक से प्रसिद्ध उपन्यास 'वयं रक्षामः' का मुख्य पात्र रावण है। इसमें रावण के चरित्र के विभिन्न पक्षों को रेखांकित करते हुए उसे राम के समकक्ष ही रखा गया है। इस पुस्तक में आचार्य चतुरसेन द्वारा भारतवर्ष की आर्य संस्कृति और रावण द्वारा प्रणीत रक्ष संस्कृति की विभिन्न रूपों में तुलना की गई है। इस विख्यात गाथा को और अधिक रोचक एवं ग्राह्य बनाने के लिए, छोटे-छोटे कथानकों को चित्रांकन द्वारा दृश्य रूप में भी प्रस्तुत किया है। जिससे इस गाथा के देश-काल की परिकल्पना को पाठकगण सरलता से ग्रहण कर, इस रचना का अधिक से अधिक आनंद ले सकें।